New Hindi Shayari - हिंदी शायरी
चक्रव्यूह रचने वाले सारे अपने ही होते हैं.!
कल भी यही सच था
और आज भी यही सच है.!!
संभाल के रखना अपनी पीठ को
'शाबाशी' और 'खंजर' दोनो यहीं पर मिलते है.!!!
रोटी पर "घी" और
नाम के साथ "जी"
लगाने से,
"स्वाद" और "इज्जत"
दोनों बढ़ जाते हैं |
इंसान “जन्म” के दो “वर्ष” बाद
“बोलना” सीख जाता है
लेकिन
“बोलना” क्या है ये “सीखने” मे पूरा “जन्म” लग जाता है।
शब्द अमूल्य हैं इन्हें सहेज कर प्रयोग करे।
यही सफलता की कुंजी है।
नाम के साथ "जी"
लगाने से,
"स्वाद" और "इज्जत"
दोनों बढ़ जाते हैं |
इंसान “जन्म” के दो “वर्ष” बाद
“बोलना” सीख जाता है
लेकिन
“बोलना” क्या है ये “सीखने” मे पूरा “जन्म” लग जाता है।
शब्द अमूल्य हैं इन्हें सहेज कर प्रयोग करे।
यही सफलता की कुंजी है।