दिन कैसा गया तुम्हारा ?
कुछ पैसे चाहिए हो तो बताना
तुम ठीक तो हो ना ?
ये सवाल केवल प्रेमिकाओं ने ही पूछा..
रोज शाम को घर लौटते वक्त
ना मांगी कल्पनाओं का शहर
नही मांगा तारो से भरी आकाश,ना मांगा कवि के कोई शब्द..
तुम्हारे संघर्ष कि साथी रही प्रेमिकाओं ने
तुम्हारी कामयाबी के सपने देखे और उसे
पूरा करने के लिए सदैव तुम्हारे साथ खड़ी रही ।
उन्होंने उस सिंदूर कि कीमत भी अदा कि
जो उनके हिस्से में कभी आया ही नहीं...