" भगती जैसी नही भावना, विद्या जैसा दान नही
ॐ बराबर शब्द नही और वेदों जैसा ज्ञान नही
हाथ बराबर ढाल नही, अहंकार बराबर छुरी नही
पुरंजन जैसा राज जगत में काया जैसी पूरी नही
मोक्ष बराबर धाम नही, भजन बराबर धुरी नही
कर्म जैसा कोई साथी नां और माया जैसी जूरी नही
सेवा जैसा फल कोन्या और संत बराबर मान नही
संसार बराबर सागर नां,ममता जैसा जल कोन्या
मन जैसा अन्यायी नां और काम जैसा छल कोन्या
त्याग बराबर मोक्ष नही,लोभ बराबर मल कोन्या
मनुष्य बराबर योनी नां और काल बराबर दल कोन्या
पृथ्वी जैसे माँ नही और विषय जैसा शैतान नही
झूट बराबर पाप नही और सांच बराबर धर्म नही
वाणी जैसा रस कोन्या और उपकार बराबर कर्म नही
शांति जैसी शीतलता नां और क्रोध बराबर गरम नही
लाख ८४ सा चक्र नही और तृष्णा जैसा भ्रम नही
दया बराबर ताप कोन्या और एकांत बराबर ध्यान नही
माँ पिता सा तीर्थ नां और सतगुरु सा प्रकाश नही
कपट बराबर रोग नही और भाग्य बराबर दास नही
सत्संग जैसा लाभ नही और योग जैसा अभ्यास नही
बसंत जैसी ऋतू नही और फागण जैसा मॉस नही
कह लख्मीचंद हरियाणे जैसा और कोए स्थान नही...
ॐ बराबर शब्द नही और वेदों जैसा ज्ञान नही
हाथ बराबर ढाल नही, अहंकार बराबर छुरी नही
पुरंजन जैसा राज जगत में काया जैसी पूरी नही
मोक्ष बराबर धाम नही, भजन बराबर धुरी नही
कर्म जैसा कोई साथी नां और माया जैसी जूरी नही
सेवा जैसा फल कोन्या और संत बराबर मान नही
संसार बराबर सागर नां,ममता जैसा जल कोन्या
मन जैसा अन्यायी नां और काम जैसा छल कोन्या
त्याग बराबर मोक्ष नही,लोभ बराबर मल कोन्या
मनुष्य बराबर योनी नां और काल बराबर दल कोन्या
पृथ्वी जैसे माँ नही और विषय जैसा शैतान नही
झूट बराबर पाप नही और सांच बराबर धर्म नही
वाणी जैसा रस कोन्या और उपकार बराबर कर्म नही
शांति जैसी शीतलता नां और क्रोध बराबर गरम नही
लाख ८४ सा चक्र नही और तृष्णा जैसा भ्रम नही
दया बराबर ताप कोन्या और एकांत बराबर ध्यान नही
माँ पिता सा तीर्थ नां और सतगुरु सा प्रकाश नही
कपट बराबर रोग नही और भाग्य बराबर दास नही
सत्संग जैसा लाभ नही और योग जैसा अभ्यास नही
बसंत जैसी ऋतू नही और फागण जैसा मॉस नही
कह लख्मीचंद हरियाणे जैसा और कोए स्थान नही...
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